(अेक)
गांधी
थांरै नांव री
नीसरणी चढ 'र
घणकराक गोधा
पकड़णो चावै
राज-सिंधासण
इण राज-सिंघासण
पकड़ण री होड-होड मांय
आ कैवत साव साची कर दी
कै आ रे म्हारा सम्पाट
म्हैं थनैं चाटूं
थूं म्हनै चाट।
(दो)
लोग कैवै-
मजबूरी रो नांव
महात्मा गांधी
अर लोग आही
कैवै कै-
साच री धूरी रो
नांव हो महात्मा गांधी
न मजबूरी रो
नांव हो महात्मा गांधी
अर
न ई साच री धूरी रौ
नांव हो महात्मा गांधी
फगत मिनखाचारै री
तिजूरी रो नांव हो महात्मा गांधी।
(तीन)
गांधी
सीर रो धन
जिणनै
खाण लाग रैया है
घणकराक स्यकळिया
पण
कुण ही
जाण्यो कोनी
गांधी रो मन।