म्हारा हेतालू

म्हैं सुपनां देखूं

कूड़ सूं ललियोडा सुपनां

म्हनै इण री छेहली गत ठा है

पण म्हेँ देखूं हूं सपना

क्यूंक म्हनै पतियारौ है

सुपनां कदेसर व्है सकै साँच

पण सांच नी वे सुपनो

कदेई आयजै गड़ीसर

अठै पाल माथे बैठ

आपां लिखिए रा लेख सोधसा

म्हारी मनभीनी मूमल

थनै ठा है

थार मुलक में सबसू मेंगो है पाणी

अर इण पाणी सूं

अदीठ व्हेतौ जावै हेत!

गड़ीसर कोई सुपनो कोनी बावली

पण म्हे चिणीया हूं

मद सूं तर मालिया

एनाण है

म्हारी जिया जूण रा

अठै आया ही सजै है काम

ही तो वा जिग्या है जठै

म्हें थांनै पेली पोत निरखी

अठै रा सोनलिया घाट

अठै री माछलियां

पीला पट हुय

जोवै लगोलग थारी बाट

बोरड़ी री छियां में बेठण सारू

पाल माथै नाचण सारूं

गाडा माथै मोलावण चूड़ियां

ऐकर आयजे पाछी।

स्रोत
  • सिरजक : कमल सिंह सुल्ताना ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी