गाम सूं सै'र जावणो

ओखो तो है

पण इतरो नीं

जितरो ओखो है सै'र सूं गाम जावणो

मिनख सूं मसीन बणतां टेम नी लागै

पण मसीन सूं मिनख बणनो दो'रो घणो

आदमी जद मसीन बण ज्यावै है

तो वीं नै कोड नीं रेवै मिनखपणै रो

चसमां लारै काडबो करै है आंख्यां बटण सी

जिकी बेरो नीं कद बरसी व्हैला आखरी बार

गाम सूं सै'र जावण वाळा

घणा देख्या रे बेलियो

पण सै'र सूं गाम आवण वाळा

कोई विरला हुवै है।

स्रोत
  • सिरजक : अनिल अबूझ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़
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