गळी

रळी-मळी चालै छै

बडेरां दांई-

ऐडा-मेडा

अळसा-फळसा

तीज-त्यूंहार

ब्याह-मोखाण-

हर कठैई उभी दिस्सै...

लेय’र हाथ मांय परपंरा री सोटी

अर झोळै मांय गंडका सारू

रात री बासी रोटी।।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : प्रमोद कुमार शर्मा