तावड़े पड़ीये पट्टू ने

भाबू हाथा सूं पूंजालती

यांदा री सोरमा में

हिंजरती

कैवण लागी—

टाबरियां नै आज

म्हें जाणू हूँ

खज गियो है पट्टू

पण

इणने बारै किकर फैंकू

इणमें पसीणो है भाबोसा रो

इणमे लाड है मारो

इणमें है तावड़े री हथायी

इणमें'इज है ऊन कातती

चरखे री घुणघुण

इणमें इज है खोखों री मिठास

इणमें इज है टाबरां

थाणी उनाले री

छुट्टियों रो उजास

पछै किकर छोड़ दूँ

मोह इणसूं

इणमें म्हारे पीयर

री यांदा हैं

इणमें इज है

म्हारे बीरे री ओळु

बै गाँव री मिगर पोह री

ठारी में अळाप सी गर्मी

देतो

म्हारे मांसा रै हाथां रो

दुलार है इणमें

घणो बोदो है म्हारे ज्यूं

पण बोदी चींजा

सहेजे है खुदमें

जीवण, अपणायत

मिनखपणो,विश्वास

इण वास्ते टाबरियां

सहेजणो,मुळकना

निभावणो सीखता रैवो

इण पट्टू रै ज्यूं

स्रोत
  • सिरजक : सुमन पड़िहार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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