एल्या भाई!

अमनै खबर है

पारकै सारै लागी

तमें आकाशै धोतियू हुकवी र्या हौ

दाड़ो-रातर खेली र्या हौ

लूटमार नै खून खराबा नौ खेल।

एल्या भाई!

धरम नी आड़ लई

सकलं हमज़ी ने पाड़ी र्या हौ

धोरै दाडै़ मनखं नै

पण तमारी रमत

मोगी पड़ेगा

हड़ी-हड़ी नै मरैगा

तमनै रमाइनार।

एल्या भाई!

अमनै ऐम लागै है

सती आँखें आंधरो है

तमारौ अगुवौ

मानी नै स् चालौ

लश्कर तमारु ज़ई पड़ेगा

उंडा कुंआ मएं

पाणी भी होगा कै नीं

काय कही नीं शकाय

एल्या भाई।

अलगाव, बिखराव नै

टकराव नूं नावडू

हरते पुगेगा किनारा हुदी

खूब भराई ग्यू है

हिंसा रूपी अंदाई नूं पाणी

नावडू अधवेसे डूबी ज़ायगा।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : हरीश आचार्य ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham