एक मजबूरी पड़ी ही सड़क पे

मुं उठा सक्यो वीने म्हारो हाथ दे।

मुं अतरो उतावळ में हो के

मने याद ही कोने रियो मने कठै जाणौ है!

स्रोत
  • सिरजक : उषा राजश्री राठौड़ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी