दारूड़ी छळकी प्यालाँ में,
चँगाँ पर चोट पड़ण लागी।
दिल खोल धमाळाँ गाईजै,
हुड़दँग भरी होळी आगी
तरवार धार में उतरणियाँ
उतरै हा बोतल री धाराँ।
बै गढ बठोठ में भेळा हो,
मोट्यार करै हा मनवाराँ॥
आसो दूबारो दाखाँ रो,
बोतल वाळो खारो पाणी।
पी, मिनख हुवै हा मतवाळा,
जद डोढ्याँ आया ठुकराणी॥
देख्या जेठूंता ज्वार सिंध,
बध-बध मनवाराँ पावै हा।
काकी रै हिंवड़ै में होळी,
नैणा में आँसू आवै हा॥
बोली गढ धणी गोरियाँ रा,-
-बन्दी बन्दीयोड़ा दुख पावै।
थाँरो मन मनवाराँ लाग्यो,
आ दारूड़ी कुँकर भावै?॥
ओ बिना धण्याँ गढ गरणावै,
सूराँ बिन सूनो लागै है।
अै बिछी जाजमा देख आज,
मनड़ै में दोरप जागै है॥
काको तो किलै आगरै में,
कैदी है, बाटाँ जोवै है।
थे लाल नाखदी लाज इसी,
मतवाळ मैफलाँ होवै है॥
रजपूती डूबै प्यालाँ में,
कोझा लागो हो मोट्याराँ।
जे बैरयाँ जोगा नयीं रया,
तो क्यूँ बाँधो हो तरवाराँ॥
बोल्यो ज्वारो ठुकराणी नै,
काकीसा कुमख्या मत धारो।
आखो हिन्दवाणो झुकग्यो है,
म्हाँनै ही तानो मत मारो॥
जैपर रो मान झुक्यो मोटो,
मुरधाराधीस बीकाणै रो।
राठौड़ाँ वाळी आण झुकी,
महाराज झुक्यो जोधाणै रो॥
उतराद झुकी दिखणाद झुकी,
झुकग्या है हिन्दू मुसळमान।
गोराँ रा अहड़ो जाळ बिछ्यो,
उळझ्यो जिण में आखो जहान॥
काकीसा कुँकर समझावाँ,
रजवाड़ा गोराँ रळग्या है।
म्हे आज अेकला ऊभा हाँ,
भाई तो बैरी बणग्या है॥
पग धरण धरा पर जग्याँ नयीं,
जे फुराँ अपूठा अड़ ज्यावाँ।
कर जोर जबरिया स्यूँ झगड़ा,
धरती ने छोड कठै जावाँ॥
अपजोरा आज बणा मातां,
लूँठाँ पर खाँडो बावाँला।
तो रयी सीय नै खोद्याँला,
भोळप में मार्या जावाँला॥
ठुकराणी बोली कुँवर आज,
धरती ही धरम बदल नाख्यो।
ऊचोड़ी आण हुई ओछी,
सूरापो रवै कियाँ राख्यो॥
रजपूती गोराँ रै ठेकै,
हिन्दवाणै रो पाणी मरग्यो।
मोट्याराँ राम रयो कोनी,
अभिमान आण रो नीसरग्यो॥
अब सिंध मर्योडी खावैला,
सिरदार रावळाँ में रैसी।
मरण रै नावँ हियो धड़कै,
जूझण री जग बाताँ कैसी॥
हाताँ में चूड़्याँ पहरो थे,
रजपूताँ छोडो तरवाराँ।
रोयां ही नैण हुवै राता,
सोवैली सुरमै री धाराँ॥
संगराम लुगायाँ जावैली,
रण रीत नूयीं आ चाली है।
मोट्यार घणा दिन धरती रै,
खाडाँ री चोटाँ झाली है॥
म्हाँरोयी नाथ नयीं कैदी,
हिंदवाणो कैदी होग्यो है।
इण धर रा बाँका वीराँ रो,
जाणै सूरापो सोग्यो है॥
परदेसी गोरा राज करै,
मरदाँ स्यूँ घात करण वाळा।
भायी भायी नै टकरावै,
दो मूँढी बात करण वाळा॥
दिरीयाँवा पार बसै दूरा,
हिन्दवाणो लूँटण आवै है।
मरियोड़ी ताकै गादड़ ज्यूँ,
जाळी है जाळ बिछावै है॥
अै लुक-लुक गोळ्याँ बावणियाँ,
पिरथी रा पाळक बणग्या है।
जिण घर रो सरणो लीनों हो,
उण घर रा मालक बणग्या है॥
मिनखाँ रो रगत हुयो पाणी,
माथाँ री खैर मनावै है।
आ जात दूर स्यूँ आयोड़ी
दोरप ज्यूँ बधती जावै है॥
रुळग्या कितरायी राजवँस,
अवनी रो अंस हुयो हींणो।
है आज अठै जायोड़ा नै,
गोराँ रो गोलो बण जीणो॥
नयीं रुचै जकाँ नै ओ जीवँण,
थाँरै काकै ज्यूँ कैदी है।
थे पीवो जैर गुलामी रो,
कायर हो, हाताँ महँदी है॥
दारु स्यूँ पीड़ पूंछलो थे,
प्यालाँ में लाज डबो दीज्यो।
रजवट रो नावँ भँडिजै तो,
नैणा नै नीचा कर लीज्यो॥
धूजो हो गोराँ रै बळ स्यूँ,
मन माठो है, भय खावै है।
हूँ रजपूतण हूँ लाल मनै,
मरदाँ ज्यूँ मरणो आवै है॥
भाला में भिळणो जाणू हूं,
बँधियो भरतार छुडा लास्यूं।
बैर्याँ रै सागै सकूं नयीं,
तो जूझ आगरै मर ज्यासूँ॥
कह, खड़ग उठायो ठुकराणी,
ज्वारो जद आडो आ बोल्यो।
काकीसा हिंयें कपाट जको,
थाँ बोलाँ रै खड़कै खोल्यो॥
अब आप पधारो मैलाँ में,
गोराँ रो गरभ खिंडावण नै।
म्हे जाय आगरै अड़ ज्यासां,
काकै रा बन्ध तुड़ावण नै॥
बेटा बैठाँ मावाँ जूझै,
आ इण धरती री रीत नयीं।
म्हे जायोड़ा आयोड़ाँ री,
जीवँतड़ा सवां अनीत नयीं॥
मुड़ बोल्यो ज्वार जवाना नै,
रजपूती में दम बाकी है।
तो आज जूझणो है उण स्यूँ
जिण धरती नै मथ नाखी है॥
रण रो नूँतो रजपूताँ नै,
कायर स्यूँ बात बणै कोनी।
थाळी तो घर-घर में बाजै,
सै नार्याँ सिंघ जणै कोनी॥
मनवार नयीं प्यालाँ वाळी,
झालो खाँडाँ री मनवाराँ।
मरणै नै मोटो नयीं गिणो,
तो चढो आगरै सिरदाराँ॥
सुण घणा मिनख गूँगा होग्या,
ऊभा धरती नै ताकै हा।
बै घणै उजळै वंसां रा,
मोटोड़ा बगलाँ झाँकै हा॥
जद लोट जाट फटकार कयो,
जग करै भरोसो भायाँ रो।
मूछ्याँळाँ मरदाँ थाँस्यूँ तो,
आछो है डोळ लुगायाँ रो॥
रजपूती रा पगला धूजै,
बँसाँ रो अंस इसो खोग्यो।
ना’राँ सिरसा मोटयाराँ नै,
मरणो इतरो भारी होग्यो॥
धिर्कार थाँरलै मुखड़ाँ पर,
सिंघण्याँ री कूख लजावो हो।
बाताँ साटै सिर देवणियाँ,
थे खड़्या गुचळक्याँ खावो हो।
उण डूँग सिंध रा बन्ध आज,
खोलण नै जाट चल्या जासी।
मोटोड़ै कोट आगरै पर,
जूझण नै मीणा चढ ज्यासी॥
पण थे मोटै भालाँ वाळा,
अमरा कितरा दिन रैवोला।
बैर्याँ स्यूँ दब-दब जीवण री,
काळख कितरा दिन सैवोला॥
रजपूती मोटै मोलाँ री,
सोदो है सिर रै साटै रो।
बीराँ नै मोह नयीं व्यापै,
काया रै काचै माटै रो॥
तन राख्यो चावो कुतियाँ ज्यूँ
सिघाँ री स्यान कियाँ रैसी।
डूबैली आण बडेराँ री,
मरियाँ बिन माण कियाँ रैसी॥
अै खारी बाताँ खरी जकी,
मिनखाँ में खार जगावण नै।
रजपूत जाट मीणा चढग्या,
बंधियो गढ धणी छुडावण नै॥
अन्धारी रात घणी काळी,
अधी ढळता गढ घेरै हा।
बै लगा निसरणी कूद पड़्या,
बुरजाँ में बन्दी हेरै हा॥
बेड़्याँ में बँधियो डूँग सिंध,
डावोड़ी बुरजाँ सोय रयो।
म्हे जेळाँ तोड़ण आ पूग्या,
जद जाय सामनै लोट कयो॥
स्याबास तनै है, डूँग कयो,
समरथ आयो तोड़ण ताळो।
है धन्य मावड़ी थारोड़ी,
जायो रजपूती रखवाळो॥
पण फँदै फस्या फिरँग्याँ रै,
आँ बुरजाँ सेर घणा सोवै।
अणमोल लाल हिंदवाणै रा,
जेळां पड़िया जीवण खोवै॥
अै सगळा बाँघव छूट्याँ हीं,
म्हे बुरजाँ बायर आवाँला।
चोराँ ज्यूँ भाग आगरै ज्यूँ,
सूरापो नयीं लजावाँला॥
जद लोट ज्वार रळ्या जोधा,
बुरजाँ रा ताळा तोड़ दिया।
सित्तर री बैड़्याँ बिड़का दी,
सै बँधिया बँधण हीण कियाँ॥
करणै मींणै घोड़ा काट्या,
छटावाँ पर सूर सवार हुया।
जद हल्लो बोल्यो होस उड़्या,
गोराँ रा जीवण भार हुया॥
गढ भेद आगरो नीसरग्या,
बा फोज फिरँगी रेत रळी।
सुणताँ री छाती फूलै ही,
बीराँ री सोभा गळी-गळी॥
सन सत्तावन स्यूँ पैली ही,
अै जोत जगावत वाळा हा।
आजादी वाळै दिवलै री,
बळती लो रा रखवाळा हा॥
जा जगाँ-जगाँ छापा मार्या,
सिरकार कंपनी धूजै ही।
गोराँ री जात डरी अहड़ी,
ईसा मरियम नै पूजै ही॥
चावै जद हमलो कर देवै,
अै लूँट खजाना नै लेवै।
कड़कड़ा पड़ै जद अड़ै इस्या,
नाका स्यूँ चिणा चबा देवै॥
बरसाँ तक जूझ्याँ बैर्याँ स्यूँ,
धरती पर अम्मर नावँ कियो।
चक्कर खा गया फिरँगीड़ा,
जद हिला नसीराबाद दियो॥
बाँ घेर छावणी लाय लगा,
हथियाराँ पर काबू कीनो।
सिर लियाँ हताळी पर जूझ्या,
गोराँ रै घास घला दीनो॥
फोरस्टर सैनापति काँप्यो,
मोटाँ रा माण मसोस दिया।
उण हाई लाक्स नै मैसन नै,
जद साक जिस्या नै थका लिया॥
कोपी सिरकार कंपनी री,
जोधा बीकाँ नै बतळाया।
घड़सीसर गाँव कनै घेर्या,
भायाँ पर भाई चढ आया॥
खाँडाँ री धार बवै दोरी,
मन बीराँ रो मोळो पड़ग्यो।
हिन्दवाणै पर जूझणियाँ रै,
जद हिंदवाणो आडो अड़ग्यो॥
घेरै नै तोड़ डूँग निसर्यो,
मगरै में जोधाँ जा पकड़्यो।
महाराज रतन रै सामो आ,
गढ बकाणै में ज्वार खड़्यों॥
बोल्यो राठोड़ाँ घणी खमाँ,
भायाँ पर चढग्या, घात करी।
गोराँ स्यूँ रळग्या गढपतियाँ,
राजाजी माड़ी बात करी॥
अँगरेज जात स्यूँ म्हे जूझाँ,
थे मदद करण रै जोगा हो।
है घाव हिंये हिंदवाणै रै,
महाराजा भरण रै जोगा हो॥
पण आज थाँरलोई खांडो,
म्हाँरी छाती पर आवै है॥
धरती री लाज कियाँ रै सी,
खेतां नै बाड़ाँ खावै है॥
म्हाँनै ओ जीवण रुचै नयीं,
बँदी बण बूरजाँ में जीवाँ।
मरियाँ हीं जे मुकती पावाँ,
तो हात हलाहल ले पीवाँ॥
महाराज रूळै है रजपूती,
अब आँख मींचणी चाँवा हाँ।
थे मौटै हाताँ स्यूँ काटो,
म्हे छोटो सीस झूकावाँ हाँ॥
आछो होवै जे आ काया,
इण धरती ऊपर सो ज्यावै।
म्हाँरै मरणै री तिसणा है,
थाँ हाताँ पूरी हो ज्यावै॥
भायाँ रै काँधाँ चढ ज्यावाँ,
जे राठोड़ाँ रै हात मराँ।
गोरा रै हात पड़ाँ, उणस्यूँ-
-आछो है आतम घात कराँ॥
महाराज रतनसिंघ कयो ज्वार,
क्यूँ बोल कवो अहड़ा हेटा।
गोराँ रै हात पड़ो उण दिन,
जद कट ज्यासी भाई बेटा॥
म्हाँ मरियाँ थाँ पर आवैली,
इण गढ में जे लेवण आसी।
मूँगै मोलाँ देस्याँ थानै,
राठोड़ समूचा कट ज्यासी॥
थे अबै भरोसै बीकाँ रै,
अण होणी नयीं करण द्याँला।
निवँटाँला आप फिंरँगी स्यूँ,
कैदी ज्यूँ नयीं मरण द्याँला॥
मरदाँ ज्यूँ अड़्या लड़्या खारा,
लूँठा पर खाँडो बायो है।
भारत री भोम उजाळी है,
सत ऊपर सीस चढायो है॥
खून्याँ ज्यूँ कतल हुवै थाँरी,
म्हे कियाँ सांस धर पर लेस्याँ।
थाँरै बदलै में गोराँ नै,
युवराज म्हाँरलो दे देस्याँ॥
पण थानै आँच नयीं आवै,
अै बचन खरा है, हिये धरो।
बरसाँ बैर्याँ ज्यूँ जूझ्या हो,
बीकाँ रै गढ बिसराम करो॥
बो बखत अजै आयो कोनी,
गोराँ स्यूँ मुलक छुडावण रो।
भारत रो बळ बिखर्योडो है,
मोको नयीं खाँडो बावण रो॥
आ धरा अडिकै बो जोधो,
कट ज्यावै मुलक इसारै पर।
आखो भारत आँख्याँ खोले,
जद लागै नाव किनारै पर॥