खड़्यो खेत में निरखूं मैं तो रंगरूड़ो दरसाव रे,

धोरांवाळों गांव म्हारों, ऊंटां वाळों गांव रे।

धिन धिन मरुधर धरा मोवणी, धिन मरुधर रो गांव रे।

धोरां वाळों गांव म्हारों, ऊंटांवाळों,गांव रे।

धोरड़िया है जीवण ज्योति,

मोठ बाजरा इणरा मोती,

काचर बोर मतीरा मीठा,

जाणे मेवा मीसरी दीठा,

हिवड़े हेत हरख उपजावै, खेजड़ला री छांव रे,

धोरां वाळौ गांव...

काळी कळायण जद जद बरसे,

कमर कस्योड़ा करसा हरसे,

रगत परेवो जद मिळ सींचां,

धान उगळता धोरां सरसे।

लूं री लपटां भूल मनावां, चौमासा रो चाव रे।

धोरां....

रणबंका जद रण में झूंझै,

बैरया रा दळ ऊभा धूजै,

सीस कटे पण धड़ लड़ जावै,

मात भौम री आंण निभावै,

हलकारां रै हेलै देवे सूरा मूछ्यां ताव रै

धोरां...

इण धरती री रीतां रूड़ी,

महाराणां री जीतां रूड़ी,

विस रा प्यासा इमरत करदे

मीरां री बै प्रीतां रूड़ी,

खीचड़ला सूं देव रीझादै,करमां रा मन भाव रै,

धोरां...

मारवाड़ में मन रा मौजी,

सेखावाटी चावा फौजी,

रजधानी है मीत ढूंढाणी,

सिरे सूरमां गढ मेवाड़ी,

धर कूंचा धर मंजलां गूंजै, रजपूताणौं नांव रै,

धोरां...

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्रवण दान शून्य ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी