पांगरी है,
धरू दुक नी
ठेठ
मारे मईं नै मईं।
हवार के हांज
मने लागे नै कुसे
मारी हेत्तिऐ कविताऐ
आको दाडो आने सरैं।
नै लकं त विताड़े
रोज आम लकाड़े
वड़ाऐ
तो कारजू टाडू पड़ै।
पण
आकी रातर
आँउअं पडै़ टप-टप
वेलं जोवू
धरू वदै लप लप।