कांई है धरम?

उण रो मरम

समझणी चांवू।

भेद जाणणो अबखौ घणो!

डरूं कदै'ई जे जाण लियो

तो विमुख नीं व्है जावूं

इण जगत सूं।

स्रोत
  • पोथी : लुगाई नै कुण गाई ,
  • सिरजक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मंदिर