भीड़-1
कूड़ है, सरासर कूड़...
थूं कूड़ो है!
सदा करै कूड़ी बातां
ऊभो भीड़ मांय
अर करै दावो
निरवाळै सोच रो...
थनैं ठाह तो है
कै जिका भेळा होवै
भीड़ भेळै
वै कीं नीं सोचै
अर जिका कीं सोचै
वै कद बणै
हिस्सो भीड़ रो?
भीड़-2
म्हनैं ठाह है
भीड़ होवै-
गूंगी-बोळी
अर
बावळी!
सावळ
कोनी बोलै
कोनी सुणै
अर समझै तो दर नीं!
भीड़-3
म्हनैं ठाह है
सबदां रो मलम...
आवै कोनी कोई काम
उण जगां
जठै हरिया होवै घाव
अर मुद्दो होवै गरम।