चुनौती री

स्याही पीवै है

म्हारी कलम

अणदेखी

पीड़ री साक्षी

कदैई सबदां री

कराह रै साथै

अव्यवस्थावां

कुप्रथावां अर

संवेदनावां रै वास्तै

हिये मांय पेंठती।

आधी-अधूरी

कहाणियां नै

पूरी करती देवे है

जिंदगी में

गैरा अरथ।

चुनौती री

स्याही पीवै है

म्हारी कलम

अेक नवी निजर लिया

चावै है लिखणौं

जगत रै हिये मांय

संवेदना सूं भरी

नई कहाणी

देवण खातर नया अरथ।

स्रोत
  • पोथी : बगत अर बायरौ (कविता संग्रै) ,
  • सिरजक : ज़ेबा रशीद ,
  • प्रकाशक : साहित्य सरिता, बीकानेर ,
  • संस्करण : संस्करण
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