मनख्यां केई जावै छै चोल्डो

पखेरुवां कै, ज्यानवरां कै

कीड़ां-मकौड़ां कै न्ह जावै चोल्डो।

चोल्डो

चोल्गै जायां बार पाछै

सीधो न्ह रह सकै खड़ो

सगळा जाणै बी छै कै

बना लात खायां न्ह खडै

मनख्यां कै भीतर को चोल्डो

फेर बी

अणजाण होय’र

पूरो को पूरो मनख

चोल्डो बण’र

ढूंडी पे हाथ म्हेल’र

अकड़’र

चोल्यो पहरै छै नकटो होय’र

आबरू अर सरम ईं घरणै म्हेल’र

दुनियां की लातां खाबा सारू।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली राजस्थानी लोकचेतना री तिमाही ,
  • सिरजक : शिवचरण सेन ‘शिवा’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ
जुड़्योड़ा विसै