थे खुद बताओ

क्यूं नी आई

एक चिट्ठी

क्यूं नी पार कर सक्यो

मानखो

एक चिट्ठी रो आंतरो।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत जनवरी 1996 ,
  • सिरजक : सवाई सिंह शेखावत ,
  • संपादक : गोरधनसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर