चितेरण!
मन रै आंगण मांड मांडणा
रुत उणियारै रंग छांटणा।
चितेरण!
कूंची कौर डुबौ अंतस में-
नैणां री मनवारां मांड
आभै चमकै बीज बावळी
बादळ री जळधारा मांड।
चितेरण!
सावण मास सुरंगी भोम
लिपटी रूंख बेलड़ी मांड
धोरां मांय मुळकता माणस
नाचत मोर-ढेलड़ी मांड।
चितेरण!
लीली छेर खेजड़ी हरखै
नीर भरी इक नाडी मांड
बैठी गजबण दही बिलोवण
नेंत, झेरणौ, चाडी मांड।
चितेरण!
खेत सुरंगा हुयां सुरग सा
देवरूप करसा नै मांड
कनक काकड़ी मोठ मतीरा
भतवारण हरसा नै मांड।
चितेरण!
कामगरां रौ भाळ भळकतौ
निज मैंणत रा मोती मांड
आखै जग में जगमग करती
सत जीवण री जोती मांड।
चितेरण!
मन रै आंगण मांड मांडणा
रुत उणियारै रंग छांटणा।