घणां सपणां नैणां में सजाय

छोरी जावै सासरै

आपरी दुनियां छोड़ जावै

दूजां री सिंसार बसावण खातर

घणों बा की कोनी चावै

चावै सगळा रो दुलार

भगवान सूं ओहिज अरज करै

मनै देहिजो सुपणां सूं प्यारो सासरो।

नूवीं बींदणी घर आवै

नव दिण होवै चोखो सितकार

पछैवां सांझ लोघर-घवाड़

आंगणो मुस्कावै है जद-जद

बाजै ऊणे पायलड़ी री झणकार

तीज-तिवारां गिणगोरियां करै सोळा-सिणगार

हिवड़ा में साब री सूरत बसै

रूह-रूह खुसी सूं छलकै

मनड़ो परेम रा गावै गीत।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : उगमसिंह राजपुरोहित 'दिलीप' ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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