म्हारौ अफसरपणौ

अर म्हारी आजादी

उणरै कंठां अटक्यौ हाड होयग्यौ

जद तद म्हैं चासूं

म्हारै पुरखां रै ग्यान रौ दिवलौ

उणां रै गडती राग होयग्यो,

उण ईज बगत वै झुंझळायनै

किणी लाचार रै सिर-माथै

मिस मंढ नै

दळ-बळ साथै आंनै

जुळम करनै

आपरौ छतरीपणौ बतावै।

स्रोत
  • सिरजक : विवेकदीप बौद्ध