आज
माणस री मत्त
हिवड़ै री प्रीत
अंतस रा गीत
अबखाई में
आडो आवण री रीत
टीवी देखण
निज लाभ सुख लेखण में
लीन हुय
कठै नीचाण कांनी ढळ गई है
तो कठै
साफ ही माटी में रळ गई है।
चेता चूक माणस
कठै अकाळ सूं लड़ रयो है
तो कठै आछी ओपती बातां री
ओळू गाय
धरती में गड़ रयो है।