नीला-नीला आंगणा में, दूधां नहातो आवै।
बादळ ओलै छाने-छाने, यो कुण भाग्यो जावै।
जाणै चांदी रो डळो, चांदो रूप रो डळो॥
मायड़ कैवै मामो म्हारो, मोत्यां बचलो हीरो।
सांवळी मायड़ली थूं तो, गोरो थारो बीरो।
म्हारो चांदूल्यो मामूल्यो, म्हानै लागै है भलो,
जाणै चांदी रो डळो, चांदो रूप रो डळो॥