थूं!

कुण 'र

कांई है?

म्हनैं

इणरौ पडूत्तर नीं चाईजै

पण

म्हारौ जीव तो

इण बात सूं दुख पावै

साची-साची बता-

अे चांद!

थूं

अमावस नै कठै जावै।

स्रोत
  • सिरजक : गजेसिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी