यां गडरियां का रेवड़ देखो

ज्यांकि जमीन आपकी

मकान आपका

ठिकाणा

गाड़ा-धोड़ा-भाड़ा

छै तो बस

आसमान की ऊंचाई ताणी

खुलेड़ा ऊंचा ठिकाणा

बिन डोळी-डंडा का गुवाड़ा

धरती माता की खुलेडी किंवाड़्यां

हाथ मांही दो-चार भांडा

अर अेक ऊंटगाडा ऊपर

अकाथ टूटया-फूटया

गूदड़ा-गाबला अर खाट

कतारां मांही नचींती चालती

भेड़ा-बकरियां, नान्हो-सो कांख मांही

भावी गुवाळियो

जिनावरां की लेर चालतो

रैबारी अर रेवड़ की असीम

संतोप, शांति, मीठी मुळक को

अर यो गीत

रेवड छै जी, यो तो चाल्यां जावै छै

कदै थमै, यो तो चाल्यां जावै छै।

स्रोत
  • सिरजक : अभिलाषा पारीक ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़