म्हारी प्यारी भारत माता, लुळ लुळ शीश नमाऊं अे।
थारी शान सदीव बधाऊं, चाहे प्राण गमाऊं अे॥
थूं सदियां सूं गौरवड़ी मां, जग जानी जग मानी अे।
थारो रूप सुरग सूं सुन्दर, थारो नै लासाणी अे।
अणगिणयां हीरा री जरणी, किण किण नाम गिणाऊं अे॥
गंगा जमना विन्ध्य हिमालै, चार धाम री लीला है।
काशी पुष्कर तिरुपति सैं, तीरथ घणा छबीला है।
मेळै खेळै तीज तिंवारा, थारी शोभा गाऊं अे॥
धजौ तिरंगो फैरातो मूं, ‘जयहिन्द’ बोल्यो जाऊं अे।
महाकाळ रो रूप दिखातौ, आगे बढ़तो जाऊं अे।
बैर्या री लाशों रो ढ़िगलौ, उण री भौम लगाऊं अे॥
अपणी इण माटी रे माथै, दुश्मण चालां चिलया है।
अपणै ही भायां ने बहका, अपणै सामां करिया है।
सैंणा ने घर समझा लाऊं, दुश्मन मार भगाऊं अे॥
बैत्तर कोटि थारा बेटा, कदी ना आपस झगड़ांला।
अपणै घर री सारी बातां, थारी इंच्छा सुल्टांला।
धरम प्रान्त सब पाछै पैली, भारत रो कहलाऊं अे॥