गोळी रा तो भर जावै

बोली रा घाव मिटे कोनी

इमरत री बिरखा कर जाणै

बिस रौ छिड़काव करै

खाली बासण सिरकावै

संवरे इण रै परवाणै।

हाथ पग ना दांत ईण रै

काटे तो बिछु लाज मरै।

गोळी-गुटको बण जावै

कृपाणां री हौड़ करै।

मुळकां नै मूळकावै है

अंतस में छाला कर जावै।

नीमोळी सौ खारौ रूप धरै

मिसरी रौ बाग भी बण जावै।

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : सुधा सारस्वत ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम