मारा गाम ने

पाए वारो बोड़ो डूँगरो

एक रात्रे

मारा हपनां में आव्यो

बोल्यो

हवे नती वेटाती

टाड़ी वायरी ने

तबड़तो ताप

मने खूब सरीयो है

तारा गाम ना मनखे

हवे मूँ भूको थ्यो हूँ

केई दिजे

तारा गाम ना मनखां नै

हवे मूँ बी

गाम ना बजार में आवी नै

फरूँगां

लीलो हूको जै बी मलेगा

सरूँगां

मने जेणे नागो किदो है

एणाने मूँ नागो करूँगा।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : भागवत कुन्दन ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादनी बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण