भाग कमनिस्टां का जाग्या

बीनणीं वोट देण चाली

जमानूं आयो बोटां को

फिर्यो सिर नानैं मोटा को

बुलावा घर घर में आया

बोट देवा चालो भाया

खाट में बूडां ने घालो

लुगायां नैं हद्दर ठाल्यो

बांथ बीमारों की भरल्यो

पधेड़ी मुरदा ने करल्यो

सासुवां पायेपा जासी

मोटरां में भूवां आसी

नवेली बीनरियां खातर

लोरियाँ आज्यासी खाली

कठै तो कांगरेस ख्यारै

कठै जनसंघी पूंच्यारै

कठै मोट्यार पटाऱ्या है

लोट चुपचाप चुकार्या है

कठै ल्हुक-छिप कर आर्या है

बोनण्यां नैं बहकार्या है

म्हेरबानी म्हांपर कीज्यो

बोट थारो म्हांनैं दीज्यो कठै

कठै कमनिस्ट पुकारै है

मार भीतरली मारै है

इयां वै कानी कानीं सै

घरां में अगरी घाली

बीनरणी नटगी थी पैल्यां

जाऊंगी मैं बां गेल्यां

बटण चेपूंगी कोटां के

बास्ते लागी बोटां कै

छुटै जद पिण्ड रोटां सै

मनैं के मतबल बोटां सैं

बात यूं कहकर अटगी थी

धरणीं नैं क्लीयर नटगी थी

दबाई सुसरो जद आकै

बोट देणूं पड़सी जाकै

जणां चूं भी कोनो बोली

बठे सैं दबी दबी हाली

त्यार न्हा-धोकर कै होई

टांग कर अंतर की फोई

बांधकर टीसू की धोती

मांग में पूर लिया मोती

पैर पीळा-पीळा गैणां

लगायो काजळ रतनैणां

पोडर मूंडै पै लेप्यो

लाल टीको माथै चेप्यो

इयां बा सतरंगी होई

जाणैं इंदर- धनस कोई

भूलगी थी पाछी आई

लगाणी होठां पै लाली

देखकर दरपण में काया

चांद की सी लागी छाया

बिखर कर जो मूं पर आया

बाळ बा ओज्यूं सै बाया

खोलकर टीसू की धोती

बांधली मुखमल की धोती

पड़ोसरण से लेकर मांग्यो

झूम्खो ताळयां को टांग्यो

घड़ी में चाबी देकर कै

कळाई ऊपर कसकर कै

झूमती कमरे से निकळी

हाथ में लेकर रूमाली

रामजी के सुभाव होगो

भुलणू़ हीं बाळंजोगो

झिरोखै में चप्पल रैगी

साथणां मन्नै के कैगी

जणां जैपुर से आया था

चाव करके वै ल्याया था

पैरूंगी तो सिड़ज्यासी

इयां को मोको कद आसी

बात यूं सोच मुड़ी पाछी

मोतियां की चप्पल ठाली

खड़ी कमनिस्टां की लारी

'होर्न' देती देती हारी

खड्यो एजेन्ट बार घालै

बीनणीं जे क्हैयॉं चालै

ससुरजी कर धाप्या रोळा

ओळमा दिया जेठ बोळा

खचाखच भरगी लोरी है

देर क्योंमें होरी है

कई एजेन्ट फिरै- डोलै

बीनणीं आंख नहीं खोलै

बोट की टेम निकळ ज्यासी

जणां होसी सैं सें काली

जणां सै लाम मचाई यूं

उछळ सासू क्हूवाई यूं

टांटिया कैं कै लड़रया है

कुणसा ओळा पड़रया है

बीनणीं पैर ओड जासी

इयां बा आती सी आसी

लाम जींकै है बे जावो

म्हानैं आकर उखतावो

बीनरणीं ऊपर सैं बोली

मैं बांकी बांदी-गोली

कुहादयो मैं कोनी आऊं

पसीनें में होगी आली

स्रोत
  • सिरजक : विश्वनाथ शर्मा विमलेश ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी