व्याण चढ्या था वीं दिन सै हीं बातां सुणनैं में आरी थी
बीन पढ्योड़ो थो' र बीनणीं फैसन में दिल्ली जारी थी
'खुल्लै मूंडै फेरा होसी', यूं दो छोरयां बतळारी थी
सुण सुणकै राजी होरी थी, पड़ौसिणां या ही चारी थी
सोचै थी कहैया-जयाँ जे करले राम सुणाई रे
तो होज्यावै ईं घर की भी हळकाई रे
बीनणी ऊघाड़ै मूंडै आई रे
धकक् धकक् काळजो बीनकी मां को नाच चुक्यो दो रातां
और तीसरै दिन संज्या ही सुण बरात आणै की बातां
इती लुगायां भेळी होगी, टूटण लागी घर की छातां
मोटर को धर्राट सुणाई पड्यो, भदावा गातां गातां
देख्यो मोटर थमतां ही बस भाज्यों आयो नाई रे
सैं सैं पैली या ही दयी बधाई रे
बीनणीं ऊघाड़ै मूंडे आई रे
बीनणती ने देख उघाड़ै मूंड़ै, सैंकी अक्कल खोगी
खिजकै होगी टूंट, बीन की मां चौबारे में जा सोगी
घर की जोसण पटक आरतै की थाळी नै, सुन्नी होगी
न्यूंतै के मिस भाज नेवगण, घर घर में या पतिया पोगी
'सांची कू' हूं, झूंठ कहूं तो मन्नैं राम- दुहाई रे
जाकर देखो, मैं ना बात बणाई रे
बीनणी ऊघाड़ै मूंडै आई रे
बळती रोटी छोड तुवै पै, देखणनै लुगायां भाजी
झटपट गुदड़ो छोड, कामड़ी ठाकै चाली बूडी माजी
घड़ा-मूंणियां छोड कुवै पै, पटक बरी परिहाऱयां भाजी
मंदर में सै म्हंत भाज्यो, मैजत में सें भाज्यो काजी
छोड कड़ाई - कूंचा भाज्यो आयो हलवाई रे
आकर घर में रामारोळ मचाई रे
बींनणीं ऊघाड़ै मूंडै आई रे
खबर सुगाबा थूक मुठ्यॉं में, कालिज को हलकारो आयो
सुणतां हीं प्रिंसीपल उछळयो कालिज में लोटिस निकळायो
'सुगां गांव को एक आदमी खुल्लै मूंडै ब्याकर ल्यायो
आदै दिन की छुट्टी है, से 'कंपश्रीली' देखण जायो
घंटी की टन् के सागै छोरा घुड़दौड़ मचाई रे
सा भीड़ भाजकै घरां बीनकै आई रे
बींनणीं ऊघाड़ै मूंडै आई रे
बूडी दादी ईं घर में ऐंयां का खटका देख बिचरगी
नई बींनणीं बींका तानां सुण सुण डरगी सरमाँ मरगी
बोली, म्हें तो घणीं बींनण्यां देखी पण तूं तो हद करगी
आतां आतां हीं तेरी तो सरम ल्ह्याज सारी निस्सरगी
तेरी ही मावड़ तन्ने कुणसी फैसन से जाई रे
ऐंयां बींनैं सो सो बात सुणाई रे
बींनणी ऊघाड़ै मूंडै आई रे
बनड़ै की मां मूंदै माथै बाळ बखेर्यां खिजी पड़ी है
कोप- भुवन की बणीं केकई नैणां सैं लागरी झड़ी है।
ठाकुरजी का दरसण करबा, बारूंथै पै भीड़ खड़ी है
पण मंदर - म्हंताणी रूसी आकळ-बाकळ हुयाँ पड़ी है
रो-रोकर कहरी, 'जीं घर की कदे गाजती गाई रे
करदी रामारी वीं घर की हळकाई रे
बींनणी ऊघाड़ै मूंडै आई रे