आभै सूं

पड़ती बूंद नैं

ठाह नीं हुवै

कै कांई हुसी

बीं रो भविस

भाटै पर पड़’र

बणसी भाप

किणी मिनख रै

माथै पड़’र

बणसी मूळक

या

मिलसी नाळी मांय

इणीज बूंद री भांत

मिनख रै जमारै रो भी

नीं हुवै ठाह

कै किण ठौड़

जाय’र बैठैला

मिनख रा भाग।

स्रोत
  • पोथी : अैनांण ,
  • सिरजक : आशीष पुरोहित ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन