म्हारौ घर

थारौ हेत

थां रै ऊपर

म्हारौ हेत भौत घणौ है

इण खातर

जणां थे खेत आवौ,

म्हैं घणां कोड करूं

थां रै लिपटूं

भाज’र गोदी चढूं

पण माफ करज्यौ

भोळौ भरूंट हूं

म्हैं के जाणूं

थारै गडूं

स्रोत
  • पोथी : आ बैठ बात करां ,
  • सिरजक : रामस्वरूप किसान ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : pratham