अब थनै अचंभौ हुंवतो व्हैला

आं कांटीळी छड़्यां

जैड़ा हाथां मांय

म्हैं थनै पाळ-पोस बड़ो कर्यो

हिप्पीयाई सांझ में

आंगळी मांय सिगरेट दाब्यां

जद थूं किणी भायलै सूं

गर्ल फ्रेण्ड री चरचा कर तो हुवै

अर म्है बिचाळै इज बतळाय लूं

धांसी रे खैंखारै

धनै बेटो कैयर

छंग्योडो खेजड़ो सो

ऊभ जावूं बिचाळै

थूं सो चतो ह्वैला वीं बखत

कांई जरूरी हो

म्हांरो जीवणो

खेजड़ै जिंयाल कै तन नै

धांसी री खीं खीं सूं

हिलातौ हुयौ

थनै बेटो केय बतळावूं

तो थूं सोचे

कै इणरो गळो घोंट दूं।

स्रोत
  • सिरजक : कृष्ण कल्पित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी