बलम म्हारो खाबा को शौकीन

मिनख लुगायां सूं मतलब नांही, जीमण में तल्लीन.!

गरम परांठा माखण वाळा, सुबह-सुबह ही भावै

और लंच में राब सोगरो, घी रो भोग लगावै

दाळ रो तीखो तड़को चावै, और साथै नमकीन.!

बलम म्हारो खाबा को शौकीन

भीड़-भाड़ में घुस ज्या बालम, फाड़ धोतियो आवै

भर-भर प्लेटां जीम-जाम नै, जेबां में भर लावै

जीमण बिन तड़पै यूं साजन, ज्यूं जल रै बिन मीन.!

बलम म्हारो खाबा को शौकीन

पेट भटूरो, नाम पकोड़ो, गालड़ा दही-बड़ा है

हाथ चीलड़ा, टांग फाफड़ा, खावै पड़्या-पड़्या है

चमचम जेड़ी गोळ आंख्यां, नै बाळ है चाऊमीन.!

बलम म्हारो खाबा को शौकीन

रात रा साजन पलंग पौढ़िया, सपना सहज सुहाया

समझ इमरती कान लुगाई रा, कच-कच घणा चबाया

वा समझी के प्रीत निभाई, डाचो भर ग्यो हाय कमीण.!

बलम म्हारो खाबा को शौकीन

माल्या खा'ग्यो बैंक रो धन, नै खाकै होयो फरार रे

नेता सारा देस खा गया, ली नहीं अेक डकार रे

मैं भोळो बस भोजन मांगूं, हक म्हां सूं मत छीन.!

बलम म्हारो खाबा को शौकीन।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : आयुषी राखेचा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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