घरूं ऊं निकळयो

ले’र कई काम

पण बंद मिल्यो

औषदालो

दफ्तर मांय बंद हो

सबंधित बाबूआळो कमरो

हां! बाजार जरूर

खुल्लो हो

जीं मांय म्हैं

खरच आयो

कई रिपिया।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : निशान्त ,
  • संपादक : श्याम महर्षि