रूळी-सी गंडकड़ी

चालै

गाडै री छिंयां-छिंयां

होय जावै

बीं रै मन मांय बै’म

कै चालै गाडो

फगत बीं रै पाण

गंडकड़ी थम जावै

पितावण सारू अेक जिगां

नीसर जावै

ऊपरा’कर गाडो

अर बगै बिंयां

चरड़क-चूं, चरड़क-चूं

रूळती गंडकड़ी

बैठी गेलै माथै

चाटै टूटळी टांग

देखै जांवतै गाडै नै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : देवकरण जोशी ‘दीपक’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि