छोर्यां

लाधै कोनी,

मावां फिरै

बहुवां-बहुवां करती।

बा कुंती ही

अर बै पांडू हा...

पांचां अेक सूं

गिरस्थी रो

गाडो गुड़कालियो

पण अब तो

बिंयां

को करीजै नीं।

स्रोत
  • पोथी : बेटी ,
  • सिरजक : मनोजकुमार स्वामी ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण