सुणो हो के!
संखद कै
सोवणै बगीचै में
आ
क्यां-की बांस
आवै है?
स्याणी!
अठे का गुलाब तो
कद का
गेलै लाग्या,
इब तो
खाली
गीध अर कांवळा
गन्दगी बरसावै है।