टैम-टैम री बातां है सा...!
पै’लां बिकती ही—बकरियां, गायां, भेस्यां...!
पछै टेम पळटो खायो—
अर लीलाम बेण लागी—
जोध-जुवान, रंग-रूप री धणीयाणी—छोरियां।
पण आजकल बिकै है—
जोध-जुवान छोरा!
चमकजो मत...! साव-साचीं कैवूं हूं!
आर.जे.एस., आर.ए.एस.,
आई.पी.एस., आई.ए.एस...!
सेंगा री न्यारी-न्यारी रेटां है...!
उणा रा पैदा होवण रा बिचार सूं ले’र
उणा री पढ़ाई-लिखाई रो सगळो खरच,
अर रकम रो चकवर्ती ब्याज जोड़’र
दूल्हों री कीमत आंकीजै!
जिण बेटी रै बाप रै खीसा में
जित्ता बत्ता नोट है,
वो आपरी बेटी सारू उत्तो ही नफीस अर
कमाऊ बीन्दराजा खरीद सकै...!
वा रेट चार लाख सूं ले’र
आठ-दस लाख रुपियां
तक आंकीजे,
ब्याह रो दूजो खरच—
अलग...!
आप भी दीन-दयाळु सूं करो नी अरदास?
कै वो आपने एक अदद दीकरो देवै—
जको होवै आइ.पी.एस. आइ.ए.एस...?