आपकी मौत मरै

जको छोटो

दूजां’क हाथ मरै

बो! बडो

बडा गत नै ही भोगी।

सरयु में राम

बहेलिया की बाण सूं किसन

ईसा नै फांसी

गांधी नै गोली

मीरा स्यांप पेरया

सुकरात जै’र पियो

ईंया ही मरी—

दुनियां की सांच

मरतां मरतां

बडेरचारो राख्यो।

जीतां बै रोया

जगती हंसी

मरयां जगती रोयी

बै हंस्या

लोग बांनै

पैली मार्‌या

पछै पूज्या

आ! क्यांकी जगती

आ! कै जुगती

कीं! कोनी समझ पड़ी?

लोगां की कैबत में—

“ओ! बडेरचारो है”।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : विश्वम्भर प्रसाद शर्मा ‘विद्यार्थी’ ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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