समंध-सगपण री गरमास में
जद-कद खोल नाखूं
अंतस रा राज...
पण जद
वै बातां
बण जावै अखबार
आखै गांव सारू
तो काळजै जागै कसक।
राज बतावणो
म्हारी भावुकता है
कै मजबूरी?