समंध-सगपण री गरमास में

जद-कद खोल नाखूं

अंतस रा राज...

पण जद

वै बातां

बण जावै अखबार

आखै गांव सारू

तो काळजै जागै कसक।

राज बतावणो

म्हारी भावुकता है

कै मजबूरी?

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : गंगासागर सारस्वत ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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