क्यूं आवै है

इत्ती रीस

थारी आंख्यां में,

रीसां बळता

नीं सोचै कोई

उळझ जावै

आपरी रूजण में।

रीस रै सागै-सागै

साब अडोअड़

चालै है मिरतू

छेवड़ वा घेर लेवैं

रीसां बळतो मिनख

रीसा बळतो मिनख

रीस री लाय में

स्सौ कीं गंवाय देवै।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो पत्रिका ,
  • सिरजक : सुमन बिस्सा ,
  • संपादक : नागराज शर्मा
जुड़्योड़ा विसै