भूल हरेक सूं हुवै

पण भूल नैं सुधारै कोनी

भूल सूं हार मान’र

गोडा टेक लेवै तो कीं कोनी कर सकै

भूल होवणै सूं कीं सीखणो चाईजै

मन मांय सोचणो चाईजै

भूल कठै अर कियां हुयी?

आगै भूल रो ध्यान राखै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : संदीप पारीक ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति श्रीडूंगरगढ़
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