आंधौ मोह

बा'य देवै पखपात रा बीज

अणजाणै

ऊभी कर देवै इन्याव री साख

जिणनै पोखै वो

आडै उनाळै

कुतरकां री खाद सूं

पण बावळा!

एड़ी साखां कोनी पाकै

धान रौ कणुकौ

लगाय देवै तौ ढिगलौ

तीखा-तच्च कांटां रौ

स्रोत
  • सिरजक : धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी