आंधौ मोह
बा'य देवै पखपात रा बीज
अणजाणै ई
ऊभी कर देवै इन्याव री साख
जिणनै पोखै वो
आडै उनाळै
कुतरकां री खाद सूं
पण बावळा!
एड़ी साखां कोनी पाकै
धान रौ कणुकौ ई
लगाय देवै ए तौ ढिगलौ
तीखा-तच्च कांटां रौ