कैक झूठा नारा
नै मोंगा मोंगा
आश्वासन मएं
जीवती आ भोरी जनता
आपड़ा पेट नी भूख
नै मटाड़ी सकै।
मैनत मजूरी करी
खून पसीनो एक करै
पण मोंगवारी ना मेल नेंसे
एनु पेट भुकू मरै।
सोरं नै थाप वाई हमजाडै़
बईरा नै आंक काड़ी बिआड़े।
नै के
काल नो हूरज उगवादै
मुं
तारी आंक मएँ
ताजमेल बणावी दऊँगा,
नै घोर मएँ
होंना नो हूरज
जड़ावी दऊंगा।
पण जनम दुकी
ई जमारो दुकी।
दाड़ो रातर
विस्वा ना धोका
खाई-खाई थाक्यो,
पण
नै उग्यो काल नो हूरज
नै थय्यु
होंना हरकू उजवारू
वात वात मएं
एनी ओमर नुं
देवारु नेकरी ग्यू
पण आजेए हावतु है
एनी आँक हामू
अमावस नु अन्दारू।