आपां

हामी-हाम तो

नित रा मिळां,

पण मन सूं मन

कोनी जुड़ां

आपां सगळा लोग

रेलगाड़ियां सा हां,

टेसन दाई मिलां

टिगट दाई

सागै-सागै चालां

नै, यात्री दाई

न्यारा-न्यारा बिछुड़ां

सबां रा,

गांव अळगा-अळगा है

ठांव अळगा-अळगा है।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : मदनमोहन पड़िहार ,
  • संपादक : दीनदयाल ओझा