1

स्हैर मंय पड़त पड़ी सरकारी अर पारकी जगा।
करवा कब्जो खरसवा पड़ैं रुपिया।
हादवा पड़ै लठैत

जुवे ओरकणं मोटी
पोतानी आंगासे अड़ती कोठी।
सरकारी कागद-पतरी नीं जाणकारी
नै थुड़ीक य पोतानी ड़ोढ़ होसियारी।
पण य गाम मयं
करवा नथी पड़ता गुंथारा।
वेसवा नथी पड़ता
थापड़का अर वळां।


भरवौ नथी पड़तो
कैने नकुड़ो।
जै गमे अेण ठैकणें
नाखी दो, आपड़ो अकुड़ो।


2

गाम नै गोयरा वारी वाटे
बै आड़ी नानी-मोटी
अकुड़ा नी ढ़गलियं थकी
देखाई जातू अतू, गाम नूं गजूं।

पामणा अर परदेसी नै
परमणे मळी जातू
गाम नै लाटं सपं नीं-
जौवते मंय अकूडं ना डोंगरा।
अन्दाजो लागी जातो, घी-दूध नो

जुनं लोगं नै अकुडां में
देकातु हतु लसमी गोरदन (गोवर्धन) नं रूप।
लेतं हतं खातर हारू काम
मिनख जाणकार हतं घणं।

गाम नै गोयरे
अकुडं न आपणु विग्यान हतु
बोदौ वायरो भुल्यै भटकें
दईनें शकतौ हतौ पोग।
टोंटा-लूला थई जाता बापड़ा
आवते-आवते वाइरस वारो रोग।

जैनो जेटलो मुटो अकुड़ो
ई अेटलो धापेलो केवाय।
बागड़ी कैवत् है-
गाम नी दसा गाम ने गोयरे
घोर नी दसा
घोर ने आंगणे देखाई जाअे।


3

जेनी लाकेड़ इनी हैं
सरकार नू राज, बेवाड़ी दीदं हैं
सकलँ माते बाज।
समकाडें-धमकाडें अन्दारा मंय राकीनै
उजवाळुं केवाड़े।

वगर पइसे थातु नती कोय काम।
रेत, सिमेन्ट, ईंट, सचिव खाईग्यो दाम।
भांगजडियं नै वाटी ने मुमरा
दई दीदो है डाम
साने साने देखीर्‌यु है गाम।

सब मलीने रयं
हाते-हाते खयं
हाते हाते बयं
करी दीदू है दूध नुं दयं।

हेत्ता कुवाँ मंय घोरा‌अेली है भांग
ताजु बणवा करै मिनक स्वांग।
आवास मंय ई’ज करी सके वासो
जेणे नाक्यो हैं पैसं’ नो पासों।

अेटले कऊँ
जैनी लाकेड़ अेनी भैं।


स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : सूर्यकरण ‘सरोज’ सोनी ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर