म्हें
उमर भर
सूरज दाई तपियो
पण थारै कनै
उजाळौ कोनी पूग्यौ
म्हैं
जीवण भर
सावण दाई गळ्यो
पण थारौ हिवड़ो
नी भीज्यौ
तो
आ म्हारी प्रीत ओछी रही
म्हारो जीणौ अकारथ गयो