आजादी तो

मिनख रो मूळ सुभाव है

तो उण रै

नीतिगत भावां री नाव है!

मिनख क्यूं

प्राणी मात्र री

जलम जात ओलखाण है

आजादी...

पण इण रै सागै

साच सूरज रै उनमान

साच कै आपरै

किणी किणी

स्वारथ खातर

अबरबळी मिनख

निबळां रा कंठ मोसै!

इण आदम जात री

मदीयोड़ै मुलकां री

आज तांई री

गुलामी रो इतियास

इण कड़वा साच री साख भरै

अर आगै भरैला...

जग में जियां जितां दिन

आजादी रै मैतव रा

अपणायत री आब रा

जतन तो करणा पड़ैला।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : संग्राम सिंह सोढ़ा