कदे झूठी होण सकै

जागतै नैं—

पगांथियां गेरौ—बा दूजी बात है—

लारला दिनां—

म्हूं—आंख्यां देखी—

हुती—जागतोड़ा री पाडी

अर सूत्योड़ा तो पाडौ।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : रूपसिंह राठौड़ ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन