आँध अगाडी रोई नै

आपड़ी आँखे फोड़वी

बेफमं गेलं सामू तू

केंम माथू कूटे है

लाख भणावी दौ आजै

हदरवा नूं नाम न्हें

घणा थाक्या हारी ग्या नै

ज़ीव म्हारो छूटै है

आप आपड़े जागेगा

खूब अगाड़ी जाअेगा

थोडू खाण भणी लौ तौ

कुण तारू लूटै है

वात तू समझी लेजी

भेज मा जसावी लेजी

सुटे अणभण गारौ

नाम थाअे पूठै है

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : राम पंचाल भारतीय ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी