जिको नी जाणै
मांयली बातां...
गांव री बेळू नै सोनो
अर पोखरां में चांदी बतावै।
सन् सैंताळीस पछै हुया
सुधारां नै गिणावै
नवै सूरज री उडीक राखै
अर अंधारो ढोवै।
छापै में छपी खबरां
पढै अर चमकै
वो है आम आदमी..!